ब्लैक की गैस पर चल रही झाबुआ के छत्रीचाैक की चाट चौपाटी

झाबुआ। घरेलू गैस को बेहद जरूरी चीजों में मानते हुए सरकार ने इसके उपयोग को लेकर सख्त नियम बनाए हैं। गैस की टंकी यदि घरेलू है तो उसका व्यावसायिक उपयोग पूरी तरह अवैध और प्रतिबंधित है। मगर झाबुआ की शान कहलाने वाली छत्रीचाैक की चाट चौपाटी की सारी रौनक ब्लैक की गैस से ही सज रही है। गूंज-ए-झाबुआ ने देर शाम तक चौपाटी को स्कैन किया तो सामने आई कई गड़बड़ियां। शादियाें का सीजन शुरू हुआ नहीं कि गैस एजेंसियों ने 'मनमर्जी' की वेटिंग शुरू कर दी है। कनेक्शन देने में देरी के साथ ही सिलेंडर डिलीवरी में भी देरी की जा रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि शहरभर की अधिकतर दुकानों पर घरेलू गैस की टंकियों का व्यावसायिक उपयोग कर स्वाद परोसा जा रहा है। यूं तो ये सब शहर में पहले से हो रहा है, मगर शहर की शान मानी जानी वाले छत्रीचाैक चौपाटी पर भी ये धांधली जोरों पर है। पुलिस व प्रशासन के सामने पूरे बाजार में नियमों को आग में झोंककर घरेलू गैस से पूरी चौपाटी संचालित हो रही है।

कहीं खुलेआम तो कहीं छुपाकर

गौरतलब है कि छत्रीचाैक की इस चाट चौपाटी में 20 से अधिक दुकानें हर दिन चटपटे पकवान परोसती हैं। मगर इस स्वाद के पीछे का कड़वापन ये है कि यहां की लगभग सभी दुकानों पर अवैध गैस का इस्तेमाल हो रहा है। कोई खुलेआम रोड़ पर ही घरेलू टंकी रखकर दुकान चला रहा है तो कोई ठेले-गुमटी की आड़ में। किसी ने कपड़ा लपेटकर आंखों में धूल झोंकने की कोशिश की है। यह काम आज-कल में नहीं, बल्कि लंबे समय से हो रहा है, लेकिन कोई भी अधिकारी इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहा। रोजाना हजाराें किलो घरेलू गैस इसी तरह अलग-अलग बाजारों में जला दी जाती है। फिर भी जिम्मेदार अधिकारी सबकुछ देखकर भी आंखे मूंदे हुवें है।

हर पल खतरे में सैकड़ों लोग

छत्रीचाैक के इस चाैपाटी पर घरेलू गैस का इस्तेमाल करने का मामला सिर्फ नियमों के उल्लंघन से ही नहीं जुड़ा है, बल्कि व्यापारियों ने थोड़े से मुनाफे के लिए एक साथ हजारों जिंदगियों को दांव पर भी लगा दिया है। इसके पीछे का कारण यह है कि यहां सभी दुकानों पर बड़े और दाे-तीन चूल्हे वाली भट्टियों का इस्तेमाल होता है। टंकियां घरेलू होती हैं और इनमें रेग्यूलेटर भी अच्छे स्तर के इस्तेमाल नहीं किए जाते। कई जगह छोटी टंकियों के नोजल में बड़ी टंकियों के रेग्यूलेटर फीट नहीं होते, ऐसे में गैस लीक होती रहती है। कई बार गैस लीक रोकने के लिए कपड़े लपेटने जैसे असुरक्षित तरीके अपनाए जाते हैं। कई बार तो दुकानदार टंकियों के नोजल में रेग्यूलेटर फीट नहीं होने पर उस पर ईंट, पत्थर या फिर और कोई वजनदार सामान रखकर काम चलाते हैं। ऐसे में दुकानदार की यह जुगाड़ हजारों लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ सकती है।

पुलिस सहायता केन्द्र के नज़दीक अवैध काम

सा नहीं है कि गैस की इस कालाबाजारी पर किसी का ध्यान नहीं है। सच तो ये है कि इसे रोकने का जिम्मा जिन लोगों के पास है, वे खुद कई बार यहां चाट खाने आते हैं। उदाहरण ये कि छत्रीचाैक के पास ही में पुलिस सहायता केन्द्र भी है। यह सब काम सहायता केन्द्र के चंद कदमों की दूरी पर होता है, लेकिन फिर भी पुलिस अधिकारी इस ओर ध्यान तक नहीं देते। पुलिस अधिकारी चाहें तो प्रशासन को सूचित कर यहां गैस के इस अवैध उपयोग को रोक सकते हैं, लेकिन सबकुछ खामोशी से हो रहा है।

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