सीएम के आदेश हवा में क्यूँ उड़ है...? करोड़ो खर्च करने से स्वच्छ नहीं होगा शहर, अतिक्रमण मुक्त शहर से करो शुरुआत....
झाबुआ जिला मुख्यालय के हाल यह है तो झाबुआ जिले के बड़े गांव एवं ब्लॉक तथा तहसीलों के क्या हाल होगें यह इस बात से ही पता चलता है। अतिक्रमण मुहिम का नये सीएम बनते ही सीएम मोहन यादव आदेश जारी करते है। कई जिले जहां ईमानदार अधिकारी है, आदेश का पालन सख्ती से करते नज़र आते है जनप्रतिनिधी भी इस मुहीम मे सहयोग प्रदान कर रहे है। लेकिन झाबुआ जिला प्रशासन से लेकर नगरीय प्रशासन किस डर से अवैध अतिक्रमणकारियों के विरूध्द कार्रवाई करने से अपने पैर पीछे कर रही है यह सवाल जनता के उठते मन में है।
जब भी खानापुर्ति के नाम पर अतिक्रमण कार्रवाई होती है तो कुछ दिन बाद ही हालात वहीं बदस्तुर हो जाते है। अतिक्रमणकारियों का रोना धोना चालु हो जाते है, प्रशासन के सामने मगरमच्छ के आंसू बहाते है। फिर इनके साथ वोट बैंक की राजनिती करने के लिए वह नेता भी आ जाते है जो इनसे जगह का किराया एवं जैब गरम करते है। अब राजनिती और घड़ियाली आंसू के सामने प्रशासन को भी वजह मिल जाती है, अतिक्रमण मुहिम को ठंडे बस्तें में डालने की।
सीएम के आदेश के परिपालन में नगर पालिका एवं प्रशासन सिर्फ रस्म अदायगी करने के लिए बाजार में निकलकर मुनादी करवाती है कि अतिक्रमण दो दिन में स्वयं की इच्छा से हटा लिया जाए। दो दिन बीतने के बाद भी हालात जस के तस नजर आते है, व्यापारियों एवं अतिक्रमणकारियों मे इस मुनादी का नाही कोई खौफ नजर आता है नाही कोई कार्रवाई होती है। इस बात को करीब 12 दिन हो चुके है। प्रशासन खानापुर्ति करके कमाई करने की जुगत करने में लगा है। संबधित को यह तक ध्यान नहीं है कि मुनादी पीटवायें 2 दिन नहीं बल्की 12 दिन से अधिक हो चुके है। जब सवाल किया जाता है तो कहां जाता है कार्रवाई करेंगे, मुनादी करवाई है दो दिन का समय दिया है। अब यह दो दिन बारह दिन तक तो चल ही रहे है और कब तक चलेंगे यह दो दिन।
झाबुआ के व्यापारी संघ इस पर मौन है, समाजसेवी मौन है, नगर के विकास कि बात करने वाले मौन है। इस मौन के पीछे कुछ और ही बात है। जनता सब जानती है, पर खामोश है।
अब देखना यह है कि कब प्रशासन अपने कर्तव्य के प्रति सजग होगा और कब इस शहर को अतिक्रमण से मुक्त कर नगर को स्वच्छ रखने का संकल्प पुरा करेंगा।

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