झाबुआ जिले में सरकारी स्कूलों और हॉस्टलों की स्थिति पर उठे सवाल

झाबुआ। झाबुआ जिले में सरकारी स्कूलों और ट्राइबल हॉस्टलों की स्थिति को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। जिले के कई स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी है, वहीं हॉस्टलों में प्रशासनिक लापरवाही के आरोप भी सामने आए हैं।

झाबुआ जिले में सरकारी स्कूलों और ट्राइबल हॉस्टलों की दुर्दशा को लेकर जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) ने बड़ा मुद्दा उठाया है। संगठन के जिलाध्यक्ष विजय डामोर ने प्रशासन और शिक्षा विभाग पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है।

स्कूलों में सुविधाओं की कमी...

कई सरकारी स्कूलों में पानी, शौचालय और भवनों की मरम्मत जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। रिपोर्ट के अनुसार, कुछ स्कूलों में छतों पर रखी पानी की टंकियां गिरकर टूट गई हैं या गायब हो चुकी हैं। शिक्षकों का कहना है कि तेज हवा के झोंकों से टंकियां गिर गईं, लेकिन अभिभावकों और स्थानीय लोगों का मानना है कि रखरखाव की कमी के कारण ऐसी स्थिति बनी है।

हॉस्टलों में अनियमितताएं....

जिले में स्थित कई ट्राइबल हॉस्टलों को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। कई हॉस्टल अधीक्षक वर्षों से एक ही स्थान पर पदस्थ हैं, जबकि नियमों के अनुसार उनका स्थानांतरण तीन साल में होना चाहिए। साथ ही, कुछ स्थानों पर यह शिकायत भी सामने आई है कि अधीक्षक खुद हॉस्टल में नहीं रुकते, जिससे छात्र-छात्राओं को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

प्रशासन से समाधान की मांग...

जयस जिलाध्यक्ष ने प्रशासन से मांग की है कि स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं को जल्द से जल्द बहाल किया जाए और हॉस्टलों की व्यवस्थाओं की जांच की जाए। साथ ही, शिक्षकों को केवल शिक्षण कार्य तक सीमित रखने और अन्य कार्यों के लिए अलग से कर्मियों की नियुक्ति की मांग भी की जा रही है।

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