जैन समाज पर भी लागू होगा हिंदू विवाह अधिनियम, उच्च न्यायालय का बड़ा फैसला...
इंदौर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की डबल बेंच ने कुटुंब न्यायालय के उस विवादित फैसले को निरस्त कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि जैन समाज पर हिंदू विवाह अधिनियम लागू नहीं होता। न्यायालय ने इसे असंवैधानिक ठहराते हुए स्पष्ट किया कि हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत जैन समाज भी हिंदू धर्म के अंतर्गत ही आता है, इसलिए विवाह संबंधी मामलों में यह अधिनियम प्रभावी रहेगा।
जैन समाज को मिली स्पष्टता...
इस निर्णय के बाद जैन समाज के विवाह संबंधी विवादों को लेकर जारी असमंजस समाप्त हो गया है। वर्ष 2014 में केंद्र सरकार ने जैन समाज को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया था, लेकिन इसके बावजूद विवाह से जुड़े मामलों में हिंदू विवाह अधिनियम ही लागू होता रहा है।
समाज ने किया फैसले का स्वागत...
जैन कॉन्फ्रेंस युवा शाखा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष दीपक जैन "टीनू" ने उच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने कहा, "हम भले ही जैन हैं, लेकिन दशकों से हमारे विवाह संबंधी मामले हिंदू विवाह अधिनियम के तहत ही निपटाए जाते रहे हैं। कुटुंब न्यायालय का पूर्व निर्णय समाज को असमंजस में डालने वाला था, जिसे उच्च न्यायालय ने सही कर दिया है।"
संवैधानिक मूल्यों की रक्षा...
दीपक जैन ने कहा कि यह फैसला न केवल संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करता है, बल्कि जैन समाज के हितों की भी सुरक्षा सुनिश्चित करता है। अब विवाह विवादों को लेकर जैन समाज के लोगों में किसी तरह का संशय नहीं रहेगा।
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