तिकड़मी मंत्री और तकनीकी SIT, जांच ऐसे चल रही है जैसे चम्मच से छेद करना...

झाबुआ/भाेपाल (ऋतिक विश्वकर्मा)। मध्यप्रदेश की राजनीति के ‘डायलॉग किंग’ और ‘विवादों के ब्रांड एंबेसडर’ मंत्री विजय शाह एक बार फिर अपनी कलाकारी से चर्चा में हैं। बयानबाज़ी तो उन्होंने की, मगर अब असली तमाशा उनकी जांच की पटकथा में चल रहा है और ये स्क्रिप्ट किसी कॉमेडी शो से कम नहीं...

जांच के नाम पर गठित एसआईटी ने ऐसा ‘तीव्र बुद्धि’ वाला काम किया है, जिसे देख विज्ञान भी शर्मा जाए। मंत्रीजी के आपत्तिजनक बयान वाला वीडियो, सीधा भेज दिया भोपाल की रीजनल फॉरेंसिक लैब (RFSL) को... अब भले ही उस लैब में वीडियो की जांच होती ही न हो...

RFSL ने भी शालीनता से वीडियो लौटा दिया, मानो कह रही हो... भाई साहब, ये हमारे बस की बात नहीं, इसे या तो CFSL भेजो या गांधीनगर की NFSU। हम तो बस खून-नमूने वगैरह देखते हैं, मंत्रीजी के बयान की गरमी नहीं...

मप्र एफएसएल के डायरेक्टर शशिकांत शुक्ला ने भी सधी हुई मुस्कान के साथ सलाह दे दी... गलती हो गई है, अब सुधार लीजिए, वर्ना जनता सवाल पूछेगी...

पर सवाल तो अब भी हैं...
क्या SIT को सच में नहीं पता था कि RFSL वीडियो जांच नहीं करती, या फिर ‘जांच का दिखावा’ ही असली मकसद है...?
क्या ये एक मासूम तकनीकी चूक है, या तिकड़मी शाह के लिए बिछाया गया तकनीकी चादर...?

राजनीतिक पंडितों का कहना है, मंत्रीजी के मामले में जांच ऐसे हो रही है जैसे कोई पंखा चलाने के लिए माचिस ढूंढ़ रहा हो... न मकसद स्पष्ट... न दिशा साफ...

अब देखना ये है कि SIT अगला वीडियो किसे भेजेगी...? CFSL, गांधीनगर, या फिर गलती से डीडी नेशनल को...?

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