उज्जैन मोहर्रम बवाल पर तह तक — रूट से हटे घाेड़े की एक चाल ने बिगाड़ी फिज़ा... पुलिस काे करना पड़ा लाठीचार्ज....
उज्जैन। महाकाल की नगरी में मोहर्रम के 9वें दिन सीरत कमेटी के नेतृत्व में जुलूस निकाला जा रहा था। प्रशासन ने रूट तय कर साफ हिदायत दी थी कि जुलूस केवल उन्हीं गलियों से गुजरेगा, जिसकी सहमति बैठक में दी गई थी। इसके बावजूद जुलूस ने अब्दालपुरा की ओर रुख किया।
जुलूस के आगे चल रहे घोड़े को घुमाया गया...
बैरिकेड तोड़ा गया...
पुलिस ने विरोध किया, पर बात बिगड़ गई...
पुलिस की तैयारी और कार्रवाई...
जीवाजीगंज थाना प्रभारी और बल मौके पर तैनात था।
जैसे ही बैरिकेडिंग तोड़ी गई, बल ने लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर-बितर किया।
दो पुलिसकर्मी घायल हुए — जिन्हें अस्पताल भेजा गया।
एफआईआर में नामजद...
1. इरफ़ान उर्फ़ लल्ला
2. मोइन
3. अतीक
4. अज़ीज़
5. बबलू... और कुल 16 नाम।
> एसपी प्रदीप शर्मा का बयान...
CCTV फुटेज और साक्ष्य के आधार पर अन्य आरोपियों की पहचान की जा रही है। किसी को बख्शा नहीं जाएगा।
CCTV फुटेज
प्रशासन ने मौके पर लगे कैमरों से फुटेज जब्त कर लिए हैं। इनमें साफ़ दिख रहा है, किसने बैरिकेड को धक्का दिया... किसने घोड़े को गलत दिशा में मोड़ा... कौन-कौन मुख्य रूप से उकसाने में शामिल था... फुटेज कोर्ट में प्रमाण के तौर पर भी इस्तेमाल होंगे।
स्थानीय मुस्लिम समाज और नेताओं की राय...
> हमने प्रशासन के साथ बैठक में सहमति दी थी। पर अंतिम समय पर जिस मार्ग में बदलाव हुआ, उसकी जानकारी समाज को समय से नहीं दी गई।
एडवोकेट मकसूद अली (सह-सचिव, सीरत कमेटी)
प्रश्न यह है...
क्या यह संवादहीनता थी...?
या जानबूझकर योजना के विरुद्ध किया गया कार्य...?
कानूनी परिणाम क्या होंगे...?
जिन पर एफआईआर हुई है, उन पर धारा 147, 188, 332, 353, 427, 295A लगाई गई है।
शांति भंग और धार्मिक भावनाएं भड़काने की गंभीर धाराएं जुड़ने की संभावना है।
यह केवल लाठीचार्ज नहीं था… यह व्यवस्था पर सवाल था...
मोहर्रम का पवित्र अवसर शोक और श्रद्धा से जुड़ा होता है। पर यदि समाज और प्रशासन के बीच तालमेल न हो, तो वर्षों से निभाई जा रही परंपराएँ भी विवाद का कारण बन सकती हैं।
> कानून सबके लिए है, पर संवाद सभी से जरूरी है...
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