पूजा की एक खौफनाक प्रेम कथा– जब रिश्तों की डोर में ‘प्रेम’ नहीं, लालच बुनने लगा, तब एक के बाद एक तीन हत्याएं...
✍ ऋतिक विश्वकर्मा
MP जनमत | गूंज़-ए-झाबुआ
जहाँ प्रेम रिश्तों को जीवन देता है, वहीं एक प्रेम कहानी ने पूरे खानदान को मौत की ओर धकेल दिया। मुख्य किरदार हैं – पूजा जाटव, जो अब झाँसी पुलिस की गिरफ्त में है।
लेकिन उससे पहले वह अपने 'प्रेम' और 'हक़' की तलाश में पति, देवर और सास – तीन ज़िंदगियाँ निगल चुकी है।
प्रेम विवाह से लिव-इन तक, और लाशों की कतार तक...
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शुरुआत प्यार से...
पूजा ने अपने प्रेमी से शादी की थी। सबकुछ ठीक चलता, परंतु पति की हत्या करवा दी गई। कहा गया - पारिवारिक विवाद था, लेकिन शक की सुई पूजा पर ही घूमी। -
फिर छाेटे देवर से संबंध
पति की मौत के बाद पूजा ने छोटे देवर से रिश्ता जोड़ लिया, लेकिन वह भी ज्यादा दिन ज़िंदा नहीं रहा।
मौत रहस्यमयी थी... पर कहानी का रुख अब पूरी तरह बदल चुका था। -
अब बड़े देवर पर नजर...
छोटा देवर चला गया तो अब बड़े देवर के साथ लिव-इन में रहने लगी, जो पहले से शादीशुदा था।
पत्नी ने विरोध किया तो पूजा ने संपत्ति में हिस्सा मांग लिया। -
जब सास ने कहा - नहीं...
सास ने इस पर ऐतराज़ जताया तो पूजा ने उसकी भी हत्या करवा दी।
इस बार हत्या सुनियोजित थी – और पुलिस ने मामले की परतें खोलनी शुरू कर दीं।
झाँसी पुलिस की जांच और गिरफ्तारी...
लगातार हो रही मौतों ने पुलिस को सतर्क किया। पूरे घटनाक्रम की जांच में पूजा के काले सच सामने आए। अब वह जेल में है, लेकिन झाँसी के लोग सदमे में हैं – क्योंकि ये कोई आम आपराधिक मामला नहीं, बल्कि रिश्तों की बेशर्मी से तोड़ी गई गाथा है।
झाँसी का नाम आते ही जेहन में उभरता है - तलवार लिए घोड़े पर सवार वीरांगना लक्ष्मीबाई का अद्भुत साहस। एक रानी जो "मैं अपनी झाँसी नहीं दूँगी" की हुंकार के साथ ब्रिटिश साम्राज्य से टकरा गई थी।
लेकिन...
आज उसी झाँसी में एक और महिला की कहानी चर्चा में है - पूजा जाटव।
पर ये कहानी साहस की नहीं, बल्कि स्वार्थ, लालच और खून से सनी हुई है।
जिस घर को रिश्तों ने बसाया था,
वहीं घर अपनों के खून से सजा था...
प्यार के नाम पर लाशें बिछीं,
और मोहब्बत की आड़ में खंजर चला था..
झाँसी की ये प्रेम कथा बता गई - अब घरों में प्यार कम, प्लानिंग ज़्यादा होती है... जहाँ कभी 'बहू' को देवी माना जाता था, वहीं अब सवाल ये है - ‘देवी की आड़ में दानव कौन है...?
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