बाबाओं के पाखंड पर सटीक वार और प्रेमानंद महाराज की चेतावनी... डॉक्टर के पास जाओ, चमत्कार मत ढूंढो...
✍️ रितिक विश्वकर्मा
जनमत का रविवार स्पेशल धर्म सराेकार
जब बाबा लोग चमत्कारों के नाम पर भीड़ जुटाते हैं, प्रेमानंद महाराज ठोस बातें कहकर लोगों का मन जीत लेते हैं। न ढोंग, न ड्रामा - केवल तर्क, अनुभव और व्यावहारिक सोच।
आज के समय में जब "बाबा इंडस्ट्री" चमत्कार बेच रही है, ऐसे दौर में प्रेमानंद महाराज जैसे संत का उदय एक ताज़ी हवा के झोंके जैसा है। वे कहते हैं - आस्था और अंधविश्वास में फर्क समझो। पीठ दर्द हो तो झाड़-फूंक नहीं, डॉक्टर के पास जाओ। भगवान से प्रार्थना करो, लेकिन पेनकिलर मत भूलो!
सच बोलते हैं, और साफ बोलते हैं...
उनका प्रवचन न कोई झूमते हुए भक्तों का ढोंग है, न माइक पकड़कर चमत्कारी चुटकुले। वे ज़िंदगी के कठिन सवालों को सीधे-साफ़ जवाबों से काटते हैं।
समाज को दिशा देते हैं, न कि भ्रमित करते हैं...
सिर्फ प्रवचन में नहीं, विचारों में भी वे व्यावहारिकता के पुजारी हैं। न पीठ थपथपाते हैं, न डर दिखाते हैं। वे समझाते हैं - जीवन का बोझ हो या शरीर का दर्द, इलाज चाहिए, अंधविश्वास नहीं।
और यहीं पर फर्क है — बाबा बनाम मार्गदर्शक में...
आज जब पाखंडवाद एक नया बिज़नेस मॉडल बन चुका है, प्रेमानंद महाराज जैसे लोग इस बात का उदाहरण हैं कि धर्म का असली मक़सद लोगों को सशक्त बनाना है, गुलाम नहीं।
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प्रेमानंद महाराज का नया प्रवचन -आस्था और अंधविश्वास का फ़र्क...
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