दाे गर्भवती महिलाओं ने खोली विकास की पोल... गर्भ का दर्द नहीं, गांव की सड़क की पीड़ा बड़ी है... वायरल हुआ विडियो...
यह दृश्य है भारत के उस दौर का, जिसे हम डिजिटल इंडिया, विकसित भारत और आत्मनिर्भर राष्ट्र जैसे बड़े-बड़े नारों से जोड़ते हैं। लेकिन हकीकत इससे अलग और बेहद चुभती है - जहां दो गर्भवती महिलाएं अपने प्रसव पीड़ा से ज्यादा गांव की ज़रूरत को प्राथमिकता देते हुए सरकार से सड़क की भीख मांग रही हैं।
सीधी जिले की महिला लीला साहू ने एक बार फिर कैमरे के सामने आकर गुहार लगाई है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि दो गर्भवती महिलाएं - जो खुद अस्पताल जाने की स्थिति में हैं - गांव के लिए सड़क की माँग करती दिखती हैं। न कोई राजनीतिक मांग, न किसी योजना का लाभ - सिर्फ इतना कि गांव में एंबुलेंस आ सके, ताकि प्रसव और बीमारियों के दौरान किसी की जान न जाए।
वायरल हाे रही इस विडियो काे देखने के लिए लाल बटन पर क्लिक करें 🔴🔴🔴
वीडियो में लीला साहू सांसद डॉ. राजेश मिश्रा और सरकार को सीधे कटघरे में खड़ा करती हैं। उन्होंने बताया कि महीनों पहले जब सड़क की माँग उठाई गई थी, तब सांसद ने 'जल्द बनेगी' कहकर भरोसा दिया था। लेकिन आज तक सड़क वही टूटी-फूटी पड़ी है।
क्या कहते हैं सवाल -
- क्या 'डिजिटल इंडिया' में भी एक आम ग्रामीण को सड़क जैसी बुनियादी सुविधा के लिए वीडियो बनाना पड़ेगा...?
- क्या सिर्फ चुनावी वादों तक सीमित रह जाएगा विकास...?
सिर्फ सड़क नहीं, यह सवाल है इंसानियत का....
वीडियो में गर्भवती महिलाओं की आंखों में दर्द से ज्यादा बेबसी दिखती है। वो कहती हैं कि सरकार से कोई उम्मीद नहीं बची, हम अब जनता से कह रहे हैं कि हमारी आवाज़ उठाओ।
इस भावुक अपील ने एक बार फिर ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या भारत के ग्रामीण हिस्सों में आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए महिलाओं को अपने दर्द से ऊपर उठकर आवाज़ उठानी होगी?
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