स्कुल पर ताला, बच्चे मैदान में – मास्टर साहब झाबुआ गए...
✍️ ऋतिक विश्वकर्मा दीवारों पर लिखे थे पढ़ाई के नारे... स्कुल पर ताला, बाहर खेल - यही हैं हकीकत वाले इशारे... स्थान: शासकीय प्राथमिक विद्यालय उमरी, झाबुआ दिन: 30 जून 2025 समय: दोपहर लगभग 2:30 बजे हमने देखा... जब हमारी टीम स्कूल पहुँची, तो सामने एक हैरान करने वाला नजारा था... स्कूल के दरवाज़े पर ताला लटका था। कक्षा बंद पड़ी थीं। बच्चे स्कूल के मैदान में खेलते नजर आए। किसी शिक्षक का कोई पता नहीं। पढ़ाई की बात होनी थी, लेकिन बच्चे खेल रम रहे थें... जवाब मिला – एक शिक्षिका छुट्टी पर है और मास्टर साहब झाबुआ है... जब बीआरसी कार्यालय से बात की गई तो बताया गया... स्कूल में दो लोग पदस्थ हैं - एक शिक्षिका और एक शिक्षक। शिक्षिका छुट्टी पर हैं। शिक्षक प्रमाण पत्र जमा कराने झाबुआ चले आए हैं। 5 किलोमीटर की दूरी और स्कूल का सस्ता समाधान... झाबुआ तक जाने में एक शिक्षक को ज़्यादा से ज़्यादा 20-25 मिनट लगते हैं। तो अगर वो 4 बजे स्कूल बंद होने के बाद जाते, तो भी आराम से 5 बजे ऑफिस पहुँच जाते। अब सवाल ये है... जब स्कूल का समय 4 बजे तक है और संबंधित दफ्तर 6 ब...