भाजपा का नया अध्याय - महिला नेतृत्व या अनुभवी रणनीतिकार या फिर मिलेगा सरप्राइज...?

✍️ ऋतिक विश्वकर्मा (स्वतंत्र पत्रकार)


भारतीय राजनीति का सबसे बड़ा दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक बार फिर बदलाव की दहलीज पर खड़ा है। इस बार चर्चा संगठन के सबसे बड़े पद, राष्ट्रीय अध्यक्ष की है। मौजूदा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का कार्यकाल अपने अंतिम पड़ाव पर है और ऐसे में यह सवाल ज़ोर पकड़ रहा है - कौन होगा भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष...?

और यह सवाल अब सिर्फ एक पद की दौड़ नहीं, बल्कि संगठन की दिशा, चेहरे और रणनीति से जुड़ा भविष्य बन गया है।


संकेत साफ हैं - फैसला जल्द...

सूत्रों की मानें तो भाजपा का संगठनात्मक पुनर्गठन लगभग पूरा हो चुका है। अधिकांश राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष बदले जा चुके हैं। अब नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा मानसून सत्र शुरू होने से पहले - यानी जुलाई मध्य तक - होने की संभावना है। प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्रा के बाद इस पर अंतिम मुहर लग सकती है।


फ्रेम में कौन-कौन...?

भाजपा में अध्यक्ष पद के लिए कई नाम हवा में तैर रहे हैं, लेकिन उनमें से कुछ बेहद मज़बूत माने जा रहे हैं...

                केशव प्रसाद मौर्यउत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग का बड़ा चेहरा। पार्टी में उनका संगठनात्मक अनुभव भी है और हाल ही में उनके नाम की अचानक चर्चा तेज़ हुई है।

              शिवराज सिंह चौहानमध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, सरल व्यवहार, संगठन की पकड़ और देशभर में लोकप्रियता। उन्हें संतुलनकारी चेहरे के रूप में देखा जा रहा है।

                 मनोहर लाल खट्टरहरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्र सरकार में मंत्री। एक साफ-सुथरी छवि और अनुशासित कार्यशैली के कारण नेतृत्व में संभावित।

                      भूपेंद्र यादवराज्यसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री, संगठन के बड़े खिलाड़ी। लंबे समय से पार्टी की रणनीति और जमीनी स्तर पर कामकाज से जुड़े रहे हैं।

                     धर्मेंद्र प्रधानकेंद्रीय मंत्री, ओडिशा से आते हैं। हिंदी पट्टी के बाहर भी मजबूत पकड़, शिक्षा नीति जैसी प्रमुख योजनाओं के सूत्रधार।


क्या इस बार महिला नेतृत्व की बारी है...?

इस बार सबसे बड़ा और ऐतिहासिक सवाल ये भी उठ रहा है - क्या भाजपा को पहली बार महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलेगी...?
माना जा रहा है कि भाजपा महिला नेतृत्व को लेकर बड़ा संदेश देना चाहती है। ऐसे में ये नाम प्रमुखता से उभर कर आए हैं:

  • निर्मला सीतारमण – वर्तमान वित्त मंत्री, सशक्त छवि और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शानदार प्रतिनिधित्व।
  • डी. पुरंदेश्वरी – पूर्व केंद्रीय मंत्री, वर्तमान में आंध्र प्रदेश भाजपा अध्यक्ष, अनुभवी और तेजस्वी वक्ता।
  • वनथी श्रीनिवासन – तमिलनाडु से विधायक और महिला मोर्चा की अध्यक्ष। युवा, ऊर्जावान और दक्षिण भारत की ओर झुकाव बढ़ाने की संभावित रणनीति।

क्या देख रही है भाजपा...?

भाजपा अध्यक्ष चयन में तीन बड़ी कसौटियाँ मानी जा रही हैं...

  1. जातीय और क्षेत्रीय संतुलन – पिछड़ा वर्ग, दक्षिण भारत या महिला नेतृत्व को तवज्जो...
  2. संगठन का अनुभव – जमीनी पकड़ और पार्टी की आत्मा से जुड़ाव...
  3. 2029 की तैयारी – अगला अध्यक्ष सिर्फ संगठन का मुखिया नहीं, बल्कि भविष्य के चुनावों की नींव भी होगा...

अब फैसला होगा – दिशा, दशा और दर्शक बदलेंगे...

यह केवल नेतृत्व परिवर्तन नहीं है - यह भाजपा की भविष्य की रणनीति की घोषणा भी है। क्या पार्टी अपने परंपरागत रास्ते पर चलेगी, या इतिहास रचेगी...? क्या एक अनुभवी पुरुष नेता फिर से कमान संभालेंगे, या भाजपा देश की पहली सशक्त महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष को आगे लाकर बड़ा संदेश देगी...?

अब सबकी निगाहें मोदी-शाह और संघ की तिकड़ी पर टिकी है...

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