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भील सेना की बैठक सम्पन्न - विश्व आदिवासी दिवस पर ढोल-मांदल और झांकियों से संस्कृति का होगा प्रदर्शन, राणापुर ब्लॉक अध्यक्ष बनाए गए बदेसिंह वाखला

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झाबुआ। भील सेना संगठन की एक अहम बैठक आज सम्पन्न हुई जिसमें आगामी विश्व आदिवासी दिवस (9 अगस्त) के कार्यक्रम की रूपरेखा तय की गई। इस वर्ष आयोजन में डीजे संस्कृति से हटकर आदिवासी ढोल, मांदल, फड़-गीत और पारंपरिक वेशभूषा के माध्यम से अपनी समृद्ध विरासत को प्रदर्शित किया जाएगा।            बैठक में निर्णय लिया गया कि टांट्या भील, बिरसा मुंडा और राणा पूंजा भील जैसे आदिवासी महापुरुषों की झांकियां निकाली जाएंगी, जिससे समाज को अपने गौरवशाली इतिहास और मूल्यों का संदेश दिया जा सके।            इस दौरान संगठन को मजबूत करने की दिशा में भी कदम उठाए गए। राणापुर ब्लॉक अध्यक्ष पद पर बदेसिंह वाखला की नियुक्ति की गई। बैठक में भील सेना संगठन के जिला अध्यक्ष रवि भूरिया, ब्लॉक अध्यक्ष गोलू वसुनिया, राजेश डामोर, अनेश मेड़ा, गोविंद डामोर, प्रकाश वाखला सहित कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे।            संगठन के जिला अध्यक्ष रवि भूरिया ने कहा कि "अब समय है कि हम अपनी असली पहचान और संस्कृति को मंचों पर और सड़कों पर गर्व क...

मुख्यालय से गायब, रजिस्टर में हाजिर... आरोग्यम सेंटर की CHO बनी मनमर्जी की महारानी...

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✍ ऋतिक विश्वकर्मा  राणापुर ब्लॉक के ग्राम बन में पदस्थ आरोग्यम केन्द्र की समुदाय आधारित स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) प्रियंका डामोर इन दिनों सेंटर पर कम, मुख्यालय से बाहर ज़्यादा नज़र आती हैं - वो भी बिना किसी अनुमति के। रजिस्टर में हस्ताक्षर... जमीनी हकीकत में गैरहाजिर... स्थानीयों ने कई बार बताया कि सीएचओ जब मन आता है, तब सेंटर आती हैं। उपस्थिति रजिस्टर में साइन करके फुर्ती से निजी कार्यों पर निकल जाती हैं। कभी जिला मुख्यालय, तो कभी पेटलावद रोड पर पति संग घूमती हुई देखी जाती हैं। बीपीएम ने किया कॉल, जवाब वही पुराना - काल रिसीव नहीं किया गया... जब इस विषय में हमने ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक (BPM) रीना अलावा से चर्चा की तो उन्होंने तत्काल CHO को कॉल किया - लेकिन कॉल उठाया ही नहीं गया। रीना अलावा ने पुष्टि की... उपस्थिति रजिस्टर में नाम है लेकिन व्यक्ति नदारद है। मुख्यालय छोड़ना वह भी बिना सूचना के, गंभीर लापरवाही है। नोटिस जारी कर कार्रवाई की जाएगी। गांव में किया औचक निरीक्षण, मिली गायब CHO की 'हाजिरी' जब हमारी टीम आरोग्यम केन्द्र, बन पहुँची, तो एएनएम और आशा कार...

वो बंदूक की गोली नहीं... हिंदुस्तान की गूंज थी – नाम था चन्द्रशेखर आज़ाद...

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23 जुलाई... तारीख वही है, पर हर साल इस दिन इतिहास फिर से सांस लेने लगता है। देशभक्ति की रगों में दौड़ती चिंगारी फिर से धधक उठती है। यह वो दिन है जब भारत माता के सबसे निर्भीक सपूत, "चन्द्रशेखर आज़ाद" का जन्म हुआ था - एक ऐसा नाम जो गुलामी की जंजीरों को तोड़ने की कसम लेकर क्रांति के रण में कूद पड़ा। जिसने अदालत में कहा – मेरा नाम 'आज़ाद', पिता का नाम 'स्वतंत्रता'... 1921 का असहयोग आंदोलन... उम्र सिर्फ 15 साल, लेकिन लहू में बगावत खौल रही थी। पुलिस ने जब अदालत में पेश किया, तो नाम पूछा गया। उन्होंने गर्जना की: > "नाम – आज़ाद, पिता का नाम – स्वतंत्रता, और पता – जेल..." अदालत सन्न रह गई और आज़ादी ने अपनी पहली हुंकार भर दी...   क्रांति के मैदान का वो सिंह जो कभी पकड़ा नहीं गया... जब अंग्रेज सरकार सड़कों पर बूटों की गूंज से डर पैदा करती थी, तब आजाद की रिवॉल्वर की आवाज़ उस डर को चीरती थी... काकोरी कांड (1925) -  ब्रिटिश खजाने पर हाथ डालना, उनके दिल में खौफ भरना – यही था आज़ाद का जवाब। सांडर्स वध (1928) -  लाला लाजपत राय की मौत का बदला – न्याय की आग में जलत...

कर्ज लिया, कागज बनाए… और फिर किया खेल – FIR से फंसा दिया...

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"झाबुआ डायरी"असली कहानी  पार्ट - 1 झाबुआ/थांदला।  कहते हैं - “सत्य परेशान हो सकता है, पर पराजित नहीं...” पर जब झूठ, रजिस्ट्रियों और FIR की शक्ल में अदालत के दरवाजे खटखटाने लगे, तब सच को भी अपना अस्तित्व साबित करने के लिए कागज और गवाह की जरूरत पड़ने लगती है। इस बार कहानी महज़ सूदखोरी या एग्रीमेंट की नहीं है, ये कहानी है - उस भरोसे की, जो एक विभागीय संबंध, पारिवारिक निकटता और इंसानी रिश्तों पर टिका था। लेकिन जब लालच सिर चढ़कर बोला, तो यही भरोसा... एफआईआर की स्याही में घुल गया। भरोसे का एग्रीमेंट और नियत का फेरबदल... वह परिवार, जो कभी राणापुर की शांति में रहता था, आज झाबुआ की खबरों का केंद्र बना हुआ है। कभी एक ही सरकारी विभाग में काम करने वाले दो व्यक्तियों का संबंध, अब न्यायालय की देहरी पर “आरोपी और पीड़ित” में बदल चुका है। कहानी के सूत्र कहते हैं... रिटायरमेंट के बाद, जो पैसा मेहनत से इकट्ठा हुआ था, उसे निवेश के नाम पर लालच देकर ले लिया गया।  कागज बने, दस्तख़त हुए, वादे हुए। पर समय के साथ जब वादा निभाने का वक्त आया, तो नियत बदल गई । और बदल गई पूरे रिश्ते की परिभ...

इंदौर नगर निगम चुनाव पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : SC-ST आरक्षण स्थायी, OBC के लिए रोटेशन जारी रहेगा

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इंदौर (प्रतिक विश्वकर्मा)। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इंदौर नगर निगम चुनाव को लेकर अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि नगर निगम के 85 वार्डों में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षण स्थायी रहेगा, जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) का आरक्षण रोटेशन प्रणाली के तहत लागू किया जाएगा। यह निर्णय हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के तीन साल पुराने आदेश को पलटते हुए आया है, जिसमें कहा गया था कि SC-ST के वार्ड भी OBC की तरह घुमाव प्रणाली (रोटेशन) से तय किए जाएं। डिवीजन बेंच ने इस आदेश को अव्यवहारिक मानते हुए स्पष्ट कर दिया कि संविधानिक प्रावधानों के तहत SC-ST वर्ग को निश्चित वार्डों में आरक्षण दिया जाना न्यायोचित है, ताकि उनकी प्रतिनिधित्व की निरंतरता बनी रहे। क्या था मामला...? 2019 में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने कहा था कि OBC की तरह SC-ST के लिए आरक्षित वार्डों को भी हर चुनाव में बदला जाए, जिससे सभी क्षेत्रों में सामाजिक न्याय की समानता बनी रहे। इस पर सरकार सहित कई जनप्रतिनिधियों और संगठनों ने आपत्ति जताई थी। डिवीजन बेंच का तर्क डिवीजन बेंच...

भाजपा का नया अध्याय - महिला नेतृत्व या अनुभवी रणनीतिकार या फिर मिलेगा सरप्राइज...?

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✍️ ऋतिक विश्वकर्मा (स्वतंत्र पत्रकार) भारतीय राजनीति का सबसे बड़ा दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक बार फिर बदलाव की दहलीज पर खड़ा है। इस बार चर्चा संगठन के सबसे बड़े पद, राष्ट्रीय अध्यक्ष की है। मौजूदा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का कार्यकाल अपने अंतिम पड़ाव पर है और ऐसे में यह सवाल ज़ोर पकड़ रहा है - कौन होगा भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष...? और यह सवाल अब सिर्फ एक पद की दौड़ नहीं, बल्कि संगठन की दिशा, चेहरे और रणनीति से जुड़ा भविष्य बन गया है। संकेत साफ हैं - फैसला जल्द... सूत्रों की मानें तो भाजपा का संगठनात्मक पुनर्गठन लगभग पूरा हो चुका है। अधिकांश राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष बदले जा चुके हैं। अब नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा मानसून सत्र शुरू होने से पहले - यानी जुलाई मध्य तक - होने की संभावना है। प्रधानमंत्री मोदी की विदेश यात्रा के बाद इस पर अंतिम मुहर लग सकती है। फ्रेम में कौन-कौन...? भाजपा में अध्यक्ष पद के लिए कई नाम हवा में तैर रहे हैं, लेकिन उनमें से कुछ बेहद मज़बूत माने जा रहे हैं...                 केशव प्रसाद मौर...

धरने से उठा सकते हो, पर मैं नहीं झुकूंगा... आधार सेंटर बढ़ाओ और भ्रष्ट आबकारी अफसर काे भी हटाओ - कमलेश सिंगाड़

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झाबुआ |  आम आदमी पार्टी के जिला अध्यक्ष कमलेश सिंगाड़ के नेतृत्व में सोमवार को किए गए धरना प्रदर्शन के बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई। बिना अनुमति के धरना देने पर रात में पुलिस ने कमलेश सिंगाड़ सहित अन्य कार्यकर्ताओं को धरना स्थल से जबरन हटाकर उनके विरुद्ध अपराध दर्ज कर लिया। इसके विरोध में मंगलवार को पार्टी द्वारा प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की गई, जिसमें जिला अध्यक्ष कमलेश सिंगाड़ ने दो प्रमुख मुद्दों को लेकर आवाज़ उठाई और ऐलान किया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे अन्न ग्रहण नहीं करेंगे। पहली मांग - जिले में आधार पंजीयन केंद्र बढ़ाए जाएं... कमलेश सिंगाड़ ने कहा कि आदिवासी बहुल झाबुआ जिले में आधार पंजीयन केंद्रों की संख्या बेहद कम है, जिससे दूर-दराज के ग्रामीणों को भारी परेशानी होती है। उन्होंने प्रशासन से मांग की - जिले में नए आधार केंद्र खोले जाएं... वर्तमान में संचालित केंद्रों पर नियमित निगरानी की जाए... केंद्रों में निर्धारित शुल्क से अधिक वसूली न हो और लोगों से कोई अनियमितता न हो... दूसरी मांग - आबकारी उप निरीक्षक विकास वर्मा के विरुद्ध कार्रवाई की जा...