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जोबट क्षेत्र के 6 गांवाें में कोयला खदान निरस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू...

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झाबुआ/अलीराजपुर।  जोबट क्षेत्र के छह ग्रामों में कोयला खदान ब्लॉक को निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यह जानकारी भारत सरकार के कोयला एवं खदान मंत्रालय के राज्य मंत्री सतीश चंद्र दुबे ने लोकसभा सांसद श्रीमती अनीता नागर सिंह चौहान को पत्र के माध्यम से दी। प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह खदानें ग्राम छोटी खुली, चमरखोड़िया, खेड़ा, उमरी जामली, नेहदला और अन्य में स्थित हैं। इन खदानों को लेकर स्थानीय स्तर पर लंबे समय से आपत्तियाँ जताई जा रही थीं, जिसके बाद मंत्रालय ने इस पर संज्ञान लिया और खदान निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं।        मंत्रालय के अनुसार, इस मामले को लेकर संबंधित विभाग को नियमों के अनुसार आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दे दिए गए हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि जल्द ही इन खदानों का संचालन बंद किया जाएगा और प्रभावित ग्रामवासियों को राहत मिलेगी। ग्रामीणों की माँग हुई पूरी.... जोबट क्षेत्र के निवासियों और जनप्रतिनिधियों ने लंबे समय से इन खदानों के खिलाफ आवाज उठाई थी। ग्रामीणों का कहना था कि खनन कार्य के कारण पर्या...

स्वतंत्रता संग्राम पर प्रकाशित पुस्तक कलेक्टर कार्यालय झाबुआ में रहस्यमयी तरह से हुई गायब, सूचना आयोग ने जताई नाराजगी

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झाबुआ। स्वतंत्रता संग्राम में झाबुआ जिले के क्रांतिकारियों के योगदान पर आधारित एक महत्वपूर्ण पुस्तक कलेक्टर कार्यालय झाबुआ से गायब हो गई है। यह पुस्तक वर्ष 1999 में प्रकाशित हुई थी, लेकिन जब आरटीआई एक्टिविस्ट कैलाश सनोलिया (विश्वकर्मा) ने इसकी जानकारी मांगी, तो प्रशासन ने इसे उपलब्ध कराने में असमर्थता जताई। इस मामले का खुलासा मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग भोपाल के आदेश में हुआ है। आरटीआई के तहत जब यह जानकारी मांगी गई, तो तत्कालीन लोकसूचना अधिकारी प्रीति संघवी ने अधूरी और गलत जानकारी दी। इस पर मामला सूचना आयोग पहुंचा, जहां सुनवाई के दौरान आयोग ने अधिकारियों की लापरवाही पर कड़ी टिप्पणी की। आयुक्त डॉ. उमाशंकर पचौरी ने स्पष्ट रूप से कहा कि स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी पुस्तक का इस तरह गायब हो जाना सरकारी उदासीनता को दर्शाता है। पुस्तक के अस्तित्व को नकारते रहे अधिकारी, अपीलकर्ता ने पेश किए प्रमाण... सूचना आयोग की सुनवाई के दौरान अपीलकर्ता कैलाश सनोलिया (विश्वकर्मा) ने अदालत में पुस्तक की एक प्रति पेश कर दी। साथ ही संपादक मंडल के सदस्य क्रांतिकुमार वैध को गवाह के रूप मे...

सरकारी स्कूलों में 21 लाख बच्चों की कमी, शिक्षा व्यवस्था पर प्रताप ग्रेवाल ने पूछे गंभीर सवाल

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शिक्षा बजट के बावजूद सरकारी स्कूलों में गिरावट, विधायक प्रताप ग्रेवाल ने पूछे तीखे सवाल  ... भोपाल। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या तेजी से घट रही है। बीते 10 वर्षों में कक्षा 1 से 8 तक पढ़ रहे 21 लाख से अधिक बच्चों ने सरकारी स्कूल छोड़ दिए। इसके अलावा, निजी स्कूलों में भी 5 लाख छात्रों की कमी दर्ज की गई है। यह आंकड़े सरदारपुर विधायक प्रताप ग्रेवाल के सवाल के जवाब में विधानसभा में सामने आए। शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2015-16 में सरकारी स्कूलों में 78.96 लाख छात्र थे, जो 2024-25 में घटकर 58.17 लाख रह गए। वहीं, निजी स्कूलों में नामांकन 48.84 लाख से घटकर 43.93 लाख हो गया। इस गिरावट के पीछे सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता, बुनियादी सुविधाओं की कमी और निजी स्कूलों की ओर बढ़ता रुझान बड़ी वजहें मानी जा रही हैं। कक्षा 9 से 12 में भी कमी... यह गिरावट सिर्फ प्राथमिक कक्षाओं तक सीमित नहीं है। कक्षा 9 से 12 तक के सरकारी स्कूलों में नामांकन 2020-21 में 23.94 लाख था, जो 2024-25 में घटकर 21.26 लाख हो गया। यानी 2.68 लाख छ...

झाबुआ बस स्टैंड के पास सार्वजनिक प्रसाधन रात में किया जाता है बंद, यात्रियों को हो रही परेशानी

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झाबुआ। शहर के मुख्य बस स्टैंड के समीप बने महिला एवं पुरुष सार्वजनिक प्रसाधन को रात 8-9 बजे के बाद बंद कर दिया जाता है, जिससे बाहर से आने वाले राहगीरों और यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। खासकर, महिलाओं को इस स्थिति में असहज परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है, क्योंकि आसपास कोई अन्य सुविधा उपलब्ध नहीं होती। रात में ताला लगाना मजबूरी या लापरवाही...? भील सेना जिला अध्यक्ष रवि भुरिया ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि प्रसाधन स्थल को समय से पहले बंद कर दिया जाता है, जिससे राहगीरों को दिक्कत हो रही है। भील सेना के ब्लाक अध्यक्ष गालू वसुनिया एवं साथियाें के साथ मौके पर पहुंचकर उन्होंने ताला खुलवाया, लेकिन जब उन्होंने ताले लगाने वालों से पूछा तो उन्होंने बताया कि यह आदेश नगर पालिका से आया था। महिलाओं को हो रही सबसे ज्यादा परेशानी स्थानीय लोगों के अनुसार, प्रसाधन स्थल बंद होने के कारण महिलाएं गुमटियों और दुकानों के पीछे जाने को मजबूर हो जाती हैं, जो असुरक्षित और अस्वास्थ्यकर स्थिति पैदा करता है। यह नगर पालिका की बड़ी लापरवाही को दर्शाता है, क्योंकि सार्वजनिक सुविधाओं...

झाबुआ में मिलावटी चांदी की बिक्री, प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग

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झाबुआ। जिले में मिलावटी चांदी की बिक्री को लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। आरोप है कि जिले के विभिन्न क्षेत्रों, जैसे राणापुर, कालीदेवी, पारा, मेघनगर, थांदला और पेटलावद में कई सुनार मिलावटी चांदी बेच रहे हैं। इस कारण ग्राहकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि चांदी की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए दुकानों पर हॉलमार्क अनिवार्य किया जाना चाहिए। इसके अलावा, चांदी की खरीद पर जीएसटी बिल और प्रमाणपत्र देना भी अनिवार्य किया जाए, ताकि ग्राहकों को सही जानकारी मिल सके।             इस मुद्दे को लेकर जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) संगठन ने प्रशासन से तत्काल जांच की मांग की है। जयस के झाबुआ जिला अध्यक्ष विजय डामोर ने कहा कि यदि जल्द ही इस पर कार्रवाई नहीं हुई, तो समाज मिलकर आंदोलन करेगा और दोषी व्यापारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग करेगा।

हाथीपावा के पास तार फेंसिंग में फंसा तेंदुआ, वन विभाग ने किया सफल रेस्क्यू

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झाबुआ।   हाथीपावा के पास ग्राम छोटी नलदी में खेत के आसपास की गई तार फेंसिंग में एक तेंदुआ फंस गया, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया। ग्रामीणों ने तुरंत इसकी सूचना वन विभाग को दी, जिसके बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। तेंदुए को सुरक्षित निकालने के लिए टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। हालांकि, तेंदुए की स्थिति को देखते हुए कोई भी उसके पास जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। वन विभाग ने स्थिति को संभालते हुए पिंजरा लगाया और विशेषज्ञों की मदद से बचाव कार्य शुरू किया। मौके पर डीएफओ हरेसिंह ठाकुर भी पहुंचे और स्थिति की निगरानी की। इंदौर से आई रेस्क्यू टीम ने मौके पर पहुंचकर सावधानीपूर्वक तेंदुए को सुरक्षित बाहर निकाला। घंटों की मशक्कत के बाद वन विभाग ने सफलतापूर्वक तेंदुए को रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ने के लिए ले जाया गया है। इस दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण भी मौके पर मौजूद रहे, लेकिन वन विभाग की टीम ने सतर्कता बरतते हुए भीड़ को दूर रखा। अधिकारियों ने लोगों से अपील की कि वे जंगली जानवरों के पास जाने से बचें और ऐसी घटनाओं की तुरंत सूचना वन विभाग को दें।